गैरेम्नाङ् और गुइरेम्ने: मणिपुरी लोक-कथा
किसी पहाड़ी गाँव में एक सुंदर युवती रहती थी। उसका नाम गुइरेम्ने था। पास ही दूसरे गाँव में एक वीर युवक रहता था। उसका नाम गैरेम्नाङ् था। वे दोनों एक-दूसरे को बहुत प्यार करते थे ।
एक दिन गैरेम्नाङ् अपनी प्रेमिका से बोला, “मैं परंपरा के अनुसार अपनी वीरता का प्रदर्शन करने के लिए दूसरे गाँवों में जा रहा हूं। कुछ दिन बाद लौटकर मैं तुमसे विवाह करूँगा।”
गुइरेम्ने ने कहा, “तुम मुझे अकेली छोड़कर जा रहे हो। मुझे कोई निशानी देकर जाओ और यह भी बताओ कि कब तक वापस आ जाओगे ?”
गैरेम्नाङ् ने उसे एक कर्णफूल देते हुए कहा, “मैं जल्दी ही वापस आऊंगा। तुम यह कर्णफूल रखो । जब तक इसका मुंह जुड़ा रहेगा, तब तक तुम समझना कि मैं जीवित हूँ। यदि इसका मुँह खुला देखो तो जान लेना कि मैं इस दुनिया में नहीं रहा।”
इतना कहकर गैरेम्नाङ् चला गया। वह बहुत दिन तक वापस नहीं लौटा। गुहरेम्ने कर्णफूल को देखते हुए उसकी प्रतीक्षा करती रही । जब और अधिक दिन बीते तो गैरेम्नाङ् के एक मित्र ने सोचा कि वह गुइरेम्ने से विवाह कर ले। किंतु जब तक कर्णफूल का मुंह जुड़ा था, तब तक गुइरेम्ने को विवाह के लिए राजी करना असंभव था। इसलिए उसने गुइरेम्ने की बूढ़ी दासी को कुछ धन देकर अपने पक्ष में कर लिया । उसने उससे कहा कि वह चुपके से कर्णफूल का मुंह अलग कर दे ।
उसके बाद एक दिन गैरेम्नाङ् का मित्र काओरांग, गुइरेम्ने के पास गया और बोला, “अब मेरा मित्र लौटकर नहीं आएगा। इसलिए उसके न रहने पर तुम पर मेरा अधिकार है । तुम मुझसे विवाह करो ।”
गुइरेम्ने बोली, “जब तक मुझे अपने प्रेमी के लौट आने की आशा है, तब तक में तुमसे विवाह नहीं करूँगी ।”
काओरांग ने उत्तर दिया, “ठीक है, तुम अपना कर्णफूल देखो। तुम्हें असली बात पता चल जाएगी ।”
गुइरेम्ने ने अपनी बूढ़ी दासी से अपना कर्णफूल मंगवाकर देखा। उसका मुँह खुला हुआ था। यह देखकर उसे बहुत दुख हुआ। उसने अपने प्रेमी को मरा हुआ जानकर काओरांग से विवाह कर लिया।
कुछ दिनों बाद गैरेम्नाङ् अपने गाँव वापस लौट आया। जब वह अपनी प्रेमिका के घर पहुंचा तो उसे पता चला कि उसने काओरांग से विवाह कर लिया है। वह सीधा काओरांग के घर गया। वहाँ उसे गुइरेम्ने दिखाई दी। जब उसने उससे पूछा कि उसने ऐसा क्यों किया तो गुइरेम्ने ने उत्तर दिया कि कर्णफूल का मुँह खुल जाने के कारण और काओरांग की जिद के कारण उसे ऐसा करना पड़ा ।
गैरेम्नाङ् अपने मित्र की चाल समझ गया। उसे बहुत क्रोध आया। उसने काओरांग को खोज निकाला और पीट-पीटकर अधमरा कर दिया। इसके बाद वह गाँव छोड़कर वियोग के गीत गाता हुआ चला गया। वह एक गाँव में पहुँचा, वहाँ उसे एक सुंदर युवती मिली। उसने गैरेम्नाङ् से विवाह का प्रस्ताव किया। यह बात गाँव के दूसरे युवक को पता चल गई । वह उस युवती को मन-ही-मन प्रेम करता था। इसलिए उसकी गैरेम्नाङ् से शत्रुता हो गई। उसने अपने साथियों के सहयोग से गैरेम्नाङ् को मार डाला। उसके जीवन का दुखद अंत हो गया।
(देवराज)
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